4me
Words from the dungeon
Sunday, April 29, 2012
अब !!
रेशम सी रूह लेकर आग़ाज़
किया था मंजिलों की कूच का,
बदलती राहों में कुछ कीड़े
उठा लिए मगर,
ऐसा छलनी किया कमबख्तों ने की,
हमेशा से चाहे हुए एहसास भी,
आर पार निकल जातें है अब !!
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