4me
Words from the dungeon
Saturday, September 7, 2013
मैं हूँ ना !
नम कर गया वोह नमक
,
आँखों में फिर न आएगा
,
भौं पे ठहर जाती सिलवटें
,
मेरी हथेलियों में ही सिमट जायेंगी
,
कभी लंगड़ाये कदम तेरे
,
भूल ही जायेंगे गिरने का सबब
,
मेरे काँधे और बाजुओं की पकड़ महसूस करेंगे जब !
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