Saturday, September 7, 2013

मैं हूँ ना !

नम कर गया वोह नमक, आँखों में फिर न आएगा,
भौं पे ठहर जाती सिलवटें, मेरी हथेलियों में ही सिमट जायेंगी,

कभी लंगड़ाये कदम तेरे, भूल ही जायेंगे गिरने का सबब,
मेरे काँधे और बाजुओं की पकड़ महसूस करेंगे जब !