सोच के सो गया की शायद तुम वापस आ गयी,
सुबह तुम्हारी खुशबू बहुत ढूंढी,
पर कुछ रुक्खों के सिवा कुछ मिला ही नहीं !
अचानक वोह समय याद आया जब जाने के बाद,
तुम्हारी याद चली आती थी साथ निभाने के लिए,
जुर्रत तो देखिये, अब मुझे खड़ा देख,
वोह भी रस्ते बदल लेती है !