Sunday, May 6, 2012

कल्पवास

आधी सड़क,
चौड़े अरमान!
गर्दन की मोच,
और ऊंचे सम्मान!
मीठे से रस,
पर जली ज़बान!
शब्दों में तीर,
तो टूटे कमान!

रात की सफेदी,
पर अँधा ही चाँद!
छिछले पानी में,
गहरी छलांग!
कटुता अपार,
पर प्यारा सा स्वांग!
ना पाने की फ़िराक ,
कोई करे तो मांग!

सूखे से पानी को,
सागर की प्यास !
भुलाई उम्मीद
को आजमाने की आस,
लम्बी होती राहों पर
खड़ा, थका, बदहवास !
चिथड़ी सी जेबों में,
टटोले दो मुट्ठी उल्लास !!

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