Words from the dungeon
वो अंदाज़-ऐं-बयां ही क्या, जब लफ्ज़ खर्च हो जायें ज़्यादा। की सींख ल़ू गुफ़तगू , चशमे मे छिपी उनकी आँखों से ज़रा ।।
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