रुई के फाहों पे चल रहा था की अचानक ही एक लावा का दरिया आ गया,
पैरों में छाले तो पड़ ही गए और फूंकने की कोशिश में राख आँखों में चली गयी,
ऐसी ही किसी रौशनी के लिए कुछ दिन पहले काफी भटका था,
पर अब इसकी लाली देख के आँखें चौंधिया गयी और मैंने मुह फेर लिया !!
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