Friday, January 14, 2011

अनछुआ स्पर्श

 कल रात किवाड़ पर कुछ हरकत सुनी थी,
 सोच के सो गया की शायद तुम वापस आ गयी,
 सुबह तुम्हारी खुशबू बहुत ढूंढी,
 पर कुछ रुक्खों के सिवा कुछ मिला ही नहीं !

 अचानक वोह समय याद आया जब जाने के बाद,
 तुम्हारी याद चली आती थी साथ निभाने के लिए,
 जुर्रत तो देखिये, अब मुझे खड़ा देख,
 वोह भी रस्ते बदल लेती है !

   

2 comments:

MaihoonDON said...

Pappu Beta, taapa hai kya?

Shuchi said...

inspired from, not copied. ;)