Sunday, August 31, 2008

यूँ ही चला चल राही

मधुशाला में मदहोश ना हो जाना,
महफ़िल में खामोश ना हो जाना।
राह में बहक ना जाना ऐ मुसाफिर,
बहुत लंबा है अभी सफर।।

छूटने पर कुछ कभी, अश्क ना बहाना,
और मिलने पर ज़मीन न छोड़ देना।
ग़म और खुशियों के आयेंगे मुकाम अक्सर,
क्योंकि, बहुत लंबा है अभी सफर।।

अमावस के अंधेरे में कभी, घबरा ना जाना,
और ना ही दिन के सूरज से चौंधियां जाना।
शोर और सन्नाटा, रहेगा हर पहर,
क्योंकि, बहुत लंबा है अभी सफर।।

गिरने के बाद कभी, उठना ना भूल जाना,
और ना ही भूलना गिरे हुए को उठाना।
रहमत तो हमेशा ही रहेगी तुझपर,
क्योंकि, चाहे जितना भी लंबा हो सफर, मंजिलें आती ज़रूर है नज़र।।

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